कंपनी बाग (घंटाघर) पुस्तकालय में यह मसला प्रकाश में आया है। शहर के बीचों-बीच कंपनी बाग में 1920 में पुस्तकालय की शुरुआत की गई थी। यानी अंग्रेजों के जमाने से यह पुस्तकालय चल रहा है। समय के साथ वहां का स्वरूप बदलता रहा है। वर्तमान में काफी संख्या में विद्यार्थी वहां नियमित रूप से अध्य्यन करने आते हैं। पिछले लगभग 6 माह से एक उदंड एवं असरदार छात्र की वजह से पुस्तकालय का माहौल खराब हो रहा है।
आरोप है कि यह छात्र ना खुद अध्य्यन करता है, न अन्य विद्यार्थियों को शांति से पढ़ने देता है। संबंधित छात्र ने नियमानुसार पंजीकरण शुल्क तक जमा नहीं कराया है। पंजीकरण शुल्क की मांग किए जाने पर वह स्टाफ पर रौब गालिब कर बदतमीजी पर उतर आता है। उदंड छात्र की मनमानी बढ़ने पर नगरायुक्त से शिकायत की गई है। नगरायुक्त ने प्रभारी पुस्तकालय को जांच कराकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
पुस्तकालय प्रभारी ने सिटी जोन के जोनल प्रभारी और पुस्तकालय लिपिक से आख्या मांगी है। वहीं, यूपी के नगर विकास मंत्री से भी इस संबंध में शिकायत की गई है। बताया गया है कि छात्र ने कुछ बाहरी युवकों से दोस्ती कर गुट बना रखा है।
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